उत्तराखंड सब एरिया की मांग पर राज्य सरकार ने सेना को गोल्फ कार्ट प्रदान करने का लिया निर्णय


-गोल्फ कार्ट से सुगम होगा पूर्व सैनिकों का आवागमन: सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी

देहरादून-उत्तराखंड सब एरिया की मांग पर राज्य सरकार ने सेना को गोल्फ कार्ट प्रदान करने का निर्णय लिया है। यह गोल्फ कार्ट पूर्व सैनिकों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी के निर्देश पर उपनल (उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड) के माध्यम से वित्त पोषित की गयी है। गोल्फ कार्ट का औपचारिक हस्तांतरण 11 अक्टूबर को देहरादून स्थित जसंवत मैदान में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) एवं चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान की उपस्थिति में किया जाएगा।

उत्तराखंड सब एरिया के डिप्टी जीओसी ब्रिगेडियर आरएस थापा ने सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी से भेंट के दौरान गोल्फ कार्ट की आवश्यकता जताई थी। उन्होंने सेना अस्पताल में पूर्व सैनिकों, ईसीएचएस धारकों के आवागमन को सुगम बनाने के दृष्टिगत सैनिक कल्याण मंत्री से इस बाबत अनुरोध किया था, इस अनुरोध पर त्वरित संज्ञान लेते हुए मंत्री जोशी ने इसे स्वीकृति प्रदान की। सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि पूर्व सैनिकों और सैनिक समुदाय की सुविधा हमारी सर्वाेच्च प्राथमिकता है। यह गोल्फ कार्ट वरिष्ठ सैनिकों की आवाजाही को सुगम बनाएगी और उन्हें बेहतर सुविधा प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि हमारी डबल इंजन सरकार सैनिकों के सम्मान और कल्याण के लिए निरंतर प्रतिबद्ध है।

मंत्री ने कहा कि उपनल कर्मियों की मृत्यु की स्थिति में उनके परिजनों को ₹1.50 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। इसके अलावा पंजाब नेशनल बैंक के साथ हुए एमओयू के तहत ड्यूटी के दौरान उपनल कर्मी के निधन पर ₹50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता भी प्रदान की जा रही है। प्रदेश में शहीदों के परिजनों के कल्याण के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि शहीदों के परिजनों को एकमुश्त अनुग्रह अनुदान, जो पहले ₹10 लाख रुपये था, उसे बढ़ाकर ₹50 लाख रुपये कर दिया गया है। इसी प्रकार, उत्तराखंड के परमवीर चक्र अलंकृत सैनिकों एवं उनकी विधवाओं को दी जाने वाली राशि को ₹50 लाख रुपये से बढ़ाकर ₹1.50 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

सैनिक कल्याण मंत्री ने बताया कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जहां पूर्व सैनिकों को ब्लॉक प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त कर उन्हें मानदेय प्रदान किया जाता है। वर्तमान में यह मानदेय ₹8,000 रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर ₹10,000 रुपये प्रतिमाह किया गया है।



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